मुस्कुराहट

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जंगल या पेड़ों के इर्द गिर्द खेलते बच्चे खेल में मशगूल है। चाहे जितने भी मदमस्त हो अपनी मस्ती में पर उन्हें इस बात का भी ख़्याल है की बाबा के आने का समय हो गया है और इस बात का ख़्याल जैसे ही कौंधती है घर की तरफ दौड़ कर बाबा या माँ के आने से पहले ही घर पहुंच जाते है। बाबा को पानी भर के गिलास जो देना है। और एक मुस्कुराहट। बस इतना ही तो करना बाबा के थकान भरे चेहरे पर एक मुसुकरहट पसीने से भरे चेहरे पर हल्की सी झलक खुशी की मिल जाये बस इतना ही तो करना है दिन भर में। क्या यह आज के बच्चे कर रहे है माँ बाप के लिए संभवतः नही। यह विषय मजबुर करता है कि हम जाने की किस दिशा में व कैसे समाज का निर्माण करने में लगे है।यहाँ मूल्यवान वस्तुओं के लिये बहुमूल्य को खोते व समाप्त करते जा रहे है। पर मैं तो खुश हूं। अपनी जिंदगी से क्योंकि मेरे पास वो सब कुछ है जो जीने के लिये जरूरी है। जंहा तक मैंने जाना है जीने के लिये जो जरूरी है वो सब तो ईश्वर द्वारा फ़्री है।उसके लये कुछ करने की जरूरत हैजैसे हवा,पानी,पृथ्वी,आग/सूर्य और आकाश

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