कर्ज

 आज जिस दौर से मैं गुजर रहा हूं बहुत ही भयभीत करने वाला हैं. जानता था वो सभी बाते जिन्हे न करने की हिदायते दी जाती हैं पर जरूरतों के वशीभूत सब हिदायतों को भुला बैठा। आज यह परिस्थिति है कि खुद से भी डरने लगा हूं। दूसरो से नज़रे चुराने लगा हुं कैसे पार पाऊंगा इस विषम परिस्थिति से नही समझ पा रहा हूं। ऐसा नहीं है कि यह पहला अनुभव है इससे पहले भी अलग अलग उम्र में इससे मिलती झूलती बल्कि इससे भी ज्यादा भयावह स्थिति से गुजर कर आज फिर एक बार। यह मेरे जीवन का चक्र है। जो कुछ सालो के बाद मेरे सामने आकर खड़ा हो जाता हैं। तकलीफ देय तो हैं पर इस समय ज्यादा परेशानी इस बात की हैं कि मैं एक परिवार का मुखिया हूं जिन पर कई ओर लोग भी निर्भर है। यह गलती अक्षम्य है। अपने साथ साथ मैंने अपने परिवार को भी दांव पर लगा दिया। यह किसी तरह से क्षमा नहीं किया जा सकता। 

इस तकलीफ देय स्थिति से कोई बाहर निकल सकता हैं तो वो है मेरे प्रभु। अब उन्हीं का सहारा हैं सिर्फ उन्ही से भरोसा है अब हर घड़ी बस उन्ही की याद आती हैं और एक लंबी आह निकलती हैं। 

कुछ महीने पहले सब ठीक था। कार खरीदने की सोच रहा था चाहता तो खरीद भी लेता अकाउंट में इतने पैसे थे और आज अकाउंट खाली हैं घर चलाने के लिए जेवर गिरवी रखने पड़े।

कुछ दिनों पहले मैं लोगो को सलाह दिया करता था की नौकरी के भरोसे नहीं रहना चाहिए। ऑप्शन बी हमेशा होना चाहिए। तब मेरे पास कई ideas हुआ करता था। साथी बहुत अचंभित हो मेरी बातो को सुना करते थे। आज यह हालत है मेरे साथ कोई खड़े होना नही चाहते कि कहीं पैसा न मांग बैठे। 

निकल तो मैं जाऊंगा तब मैं मुस्कुरा पाऊंगा आज मेरे चेहरे से मुस्कुराहट गायब हैं 

यह जीवन के उतार चढ़ाव क्या मुझे ससक्त कर रहें हैं तो ठीक है काश मैं आने वाला कल देख पाता काश बीते कल से कुछ सीख पाता। यह आगे देखने की प्रवृति अपने आने वाले कल में अच्छा करने की चाह ही हैं जो मैं इस गर्त में डूबा हूं। कितने सचेत सपने बुने किसी को भी साकार रूप नही दे पाने के बाद भी थका नही यह एक अच्छी बात है लेकिन क्या सही है किससे पूछूं कौन बताएगा क्या किसी की बात मान पाऊंगा कभी किसी की बात नहीं माना खुद को ज्यादा बुद्धिमान जो समझता हूं। आज मैं यहां भी हुं क्या कम हूं हां कमी तो बहुत हैं दूसरो की तुलना में पर क्या तुलना करना सही है। कितना कश्मकश है।  जीवन में सब कुछ सही होना ही क्या जीवन का लक्ष्य है। नही। मेरा मानना हैं जीवन यहां भी है संघर्षपूर्ण और चुनौती से भरा है। चुनौतियों का दृढ़ता से सामना करना ही मेरा मकसद है। हारूंगा नही जितना ही होगा इसी दृढ़ संकल्प के साथ अपनी सोच को विराम देता हूं।

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