संदेश

जून, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

आंसु

चित्र
बड़ी विडम्बना है कि ज्ञान हो धन हो या प्रेम। कभी इसकी अधिकता महसूस नहीं होती और इसकी थाह भी नहीं हैं। कोई यह नहीं कह सकता कि अब बहुत हुआ। अब और नहीं चाहिए। लेकिन यह अलग बात है कि यह बांटने से बड़ता हैं कम नहीं होता। ज्ञान और प्रेम के सम्बन्ध में तो यह ठीक हैं लेकिन धन के सम्बन्ध में आशंका बनी रहती हैं। यह बांटने से कैसे बदेगा। इसको इस तरह समझने की कोशिश करते हैं। किसी को रुपयों की आवश्यकता है। वह आपसे अपने कठिनाइयो से गुजर रहे दिनों कि चर्चा कर रहा हैं। पर वह आपसे मदद कि गुहार नहीं कर रहा। और आप उसके तकलीफ को कम करने के लिए कुछ धनराशि से मदद करने की इच्छा जाहिर करते हैं। पर वह धन्यवाद के साथ मुस्कुराते हुए आपके इस भाव का सम्मान करते हुए मना करता हैं। तब आपका मनोबल भी बढ़ता है और आपकी धनराशि भी। और उसके नज़रों में आपका सम्मान भी बढ़ता हैं और धन भी। चाहे आपके पास हो या ना हो। इसी तरह आपका दुख। आपको कुछ ऐसा जो प्रिय था खो गया जिसकी उम्मीद थी पर नहीं मिला। ऐसी पीड़ा ने आपको आंसू दिए। दूसरी ओर आपका दोस्त या कोई जानने वाला हो या अनजान जिसने भी आपके तकलीफ को जाना। उसे भी आपके तकलीफ का अहसास ह

सावन की पहली फुहार

चित्र
सावन की पहली फुहार से मौसम बदल गया है।फर्श पर पड़ी बारिश की पानी में झांकता आसमान हर रोज कहा दिखता है। कदमों के नीचे आसमान को देख मुस्कुराहट चेहरे पर खिल जाता हैं।की यही तो चाहता हूं मैं। कदमों में दुनिया को झुका दू। अभी तो आसमान हैं।  कल की बात हैं दोस्तो की बीच बैठा था तो जैसा की सर्वविदित हैं कि बीते दिनों की बातें या आने वाले कल की बातें ही होनी थी तो हो रही थी। बृजेश जो कि पिछले दिनों कुछ ज्यादा ही तकलीफ में रहा। अपनी आप बीती सुनाने लगा। साल भर पहले उसका ट्रांसफर कोलकाता हो गया था।और उसे वहा काफी तकलीफ में दिन बिताने पड़े। उन्हीं को याद करता हुआ बार बार भाव विभोर हो भगवान का शुक्रिया अदा करने लगता। उसका भगवान के प्रति अटूट विश्वास देख मेरे भाव भी बदलने लगे। उसने एक रात की बात बताई कि वह बेड पर सोया था और पिछले छह महीने से बीमार होने के कारण उसकी आवाज भी चली गई थी। अभी भी वह पूरी तरह ठीक नहीं हैं जबकि इस बात को भी छह महीने बीत चुके हैं और वह रेगुलर काम पर आ रहा हैं। उस रात वह बेड पर सोया हैं और उसकी पत्नी घर के मंदिर में ही पिछले दो ढाई घंटे से पूजा कर रही हैं। पूजा क्या कर रही थी

करंट

चित्र
बैठे बैठे हुक्का खींचते रहते हो कोई काम भी कर लिया करो। चूल्हे से आग हुक्के में डालते हुए बोली। तेरा बस चले तो घर में आने ही न दे। ला हुक्का पकड़ा। आपसे तो कुछ कहना ही पत्थर में सिर मारने जैसा है। बाल्टी उठा कर बोली कितनी बार कह चुकी हूं कान के भीतर तो जाती नहीं होगी मेरी बात जिस दिन इस बिजली के तार पे कोई अटक जाएगा तब मालूम पड़ेगी। आंगन में बैठा लड़का खेल में मग्न था। मां की बात सुन उठा और तार के पास पहुंचा। दूर से ही मां बोली। तार मत छुओ करंट मार देगा। मां अपने 10-12साल के बेटे को सावधान करते हुए। जो घर के पिछवाड़े से गुजर रही तार की तरफ ही जा रहा था। लड़का ठिठक गया। और तार की ओर देखने और सोचने लगा कि यह काले रंग के तार में कुछ दिखाई तो नहीं दे रहा। फिर यह करंट कैसे मारेगा। और यह करंट कोई लात हैं जो मार देगा। उसे यकीन नहीं हुआ। मां हमेशा ऐसा ही कहती है यह मत करो वहा मत जाओ। आज मैं यह देखकर ही रहूंगा। कि करंट क्या होता हैं और कैसे मारता हैं। उसने चारो ओर नज़रे घुमाई आस पास कोई नहीं था मां भी अपना काम निपटा कर जा चुकी थीं। उसने देखा काले तार के बीच से सफेद तार आंख की तरह उसे इशारे से क

गलती का पुतला

चित्र
यह हैरानी की बात है कि जितना भी हो आपके पास। आप देखेंगे,तो कमी कही न कही होगी ही। और वही है खतरे कि घंटी।  जो कभी भी आपके गले कि फास बन सकती है। इसलिय यह जान ले कि अगर कुछ गलत हो रहा है तो निश्चय ही आपने अपने कमियो कि ओर ज्यादा ध्यान दे दिया है। यह किसी तरह  से भी ठीक नही है। यहा तक मैं जानता हूँ मनुष्य गलतियो का पुतला है। गलतिओ कि वजह है आपकी इच्छाए जो कभी भी तृप्त नही होती। ऐसा कोई खोजना चाहिय जिसके जीवन मे न तो कोई अभिलाषा है और न ही कमी। अभिलाषा या इच्छाओ का होना कोई बुरी बात नहीं। यही तो मूल में हैं हमारे जीवन यात्रा के। और अपने कमिओ को पहचान कर ही हम सुदृढ़ बनते हैं यही तो जीवन की सुंदरता है कि यह जीवन अनिशचिताओ से भरा है। कि एक सुबह आप उठते है पिछले कई शानदार सुबह कि तरह जिसमे बच्चो के साथ गर्मजोशी भरा गले लगना मुस्कुराहट का आदान प्रदान के साथ उज्जवल भविष्य कि कामनाओ से ओत प्रोत आपकी भावनाए। लेकिन छोटी सी एक बात नाश्ते कि टेबल पर शुरू होती है जो समाप्त होती है कि आप एक दूसरे कि शक्ल देखना भी पसंद न करे। यही बच्चे जिन्हें गले लगाने से आपकी सारी थकावट दूर हो जाती थी। आज आंखो मे उन