करंट

बैठे बैठे हुक्का खींचते रहते हो कोई काम भी कर लिया करो। चूल्हे से आग हुक्के में डालते हुए बोली।

तेरा बस चले तो घर में आने ही न दे। ला हुक्का पकड़ा।

आपसे तो कुछ कहना ही पत्थर में सिर मारने जैसा है। बाल्टी उठा कर बोली कितनी बार कह चुकी हूं कान के भीतर तो जाती नहीं होगी मेरी बात जिस दिन इस बिजली के तार पे कोई अटक जाएगा तब मालूम पड़ेगी।

आंगन में बैठा लड़का खेल में मग्न था। मां की बात सुन उठा और तार के पास पहुंचा। दूर से ही मां बोली।

तार मत छुओ करंट मार देगा। मां अपने 10-12साल के बेटे को सावधान करते हुए। जो घर के पिछवाड़े से गुजर रही तार की तरफ ही जा रहा था। लड़का ठिठक गया। और तार की ओर देखने और सोचने लगा कि यह काले रंग के तार में कुछ दिखाई तो नहीं दे रहा। फिर यह करंट कैसे मारेगा। और यह करंट कोई लात हैं जो मार देगा। उसे यकीन नहीं हुआ। मां हमेशा ऐसा ही कहती है यह मत करो वहा मत जाओ। आज मैं यह देखकर ही रहूंगा। कि करंट क्या होता हैं और कैसे मारता हैं। उसने चारो ओर नज़रे घुमाई आस पास कोई नहीं था मां भी अपना काम निपटा कर जा चुकी थीं। उसने देखा काले तार के बीच से सफेद तार आंख की तरह उसे इशारे से कह रहा हैं। कि यही छूना हैं और वह भी अपनी उंगली को धीरे से उधर बढ़ा दिया। उसने शरीर में अलग तरह की हलचल महसूस की उसे शक हुआ पीछे मुड़कर देखा पर वहां कोई नहीं था। वह हैरान था समझ नहीं पा रहा था। की यही वह करंट है जो मां कह रही थी या कोई उसके पिछवाड़े में लात मारकर भाग गया। कुछ देर वहीं खड़ा अपना सिर खुजाते हुए इधर उधर किसी कि तलाश करने लगा। जब कोई न दिखा तो तार की ओर देखा तो समझ गया कि यही हैं करंट। लेकिन अब दूवारा चेक करने की हिम्मत नहीं जुटा पाया। तब अपनी निक्कर संभालते हुए आगे बढ़ गया। सिर झुकाए जैसे कुछ हुआ ही न हो।



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