गलती का पुतला

यह हैरानी की बात है कि जितना भी हो आपके पास। आप देखेंगे,तो कमी कही न कही होगी ही। और वही है खतरे कि घंटी।  जो कभी भी आपके गले कि फास बन सकती है। इसलिय यह जान ले कि अगर कुछ गलत हो रहा है तो निश्चय ही आपने अपने कमियो कि ओर ज्यादा ध्यान दे दिया है। यह किसी तरह  से भी ठीक नही है। यहा तक मैं जानता हूँ मनुष्य गलतियो का पुतला है। गलतिओ कि वजह है आपकी इच्छाए जो कभी भी तृप्त नही होती। ऐसा कोई खोजना चाहिय जिसके जीवन मे न तो कोई अभिलाषा है और न ही कमी। अभिलाषा या इच्छाओ का होना कोई बुरी बात नहीं। यही तो मूल में हैं हमारे जीवन यात्रा के। और अपने कमिओ को पहचान कर ही हम सुदृढ़ बनते हैं यही तो जीवन की सुंदरता है कि यह जीवन अनिशचिताओ से भरा है। कि एक सुबह आप उठते है पिछले कई शानदार सुबह कि तरह जिसमे बच्चो के साथ गर्मजोशी भरा गले लगना मुस्कुराहट का आदान प्रदान के साथ उज्जवल भविष्य कि कामनाओ से ओत प्रोत आपकी भावनाए। लेकिन छोटी सी एक बात नाश्ते कि टेबल पर शुरू होती है जो समाप्त होती है कि आप एक दूसरे कि शक्ल देखना भी पसंद न करे। यही बच्चे जिन्हें गले लगाने से आपकी सारी थकावट दूर हो जाती थी। आज आंखो मे उनकी शक्ले चुभती है। लगता है जैसे सब बिखर गया रोम रोम टूट गया लेकिन समय इन बिखरे टूटे रिश्तो को फिर से एक माला मे पिरो देगा। फिर से जीवन में मुस्कान और प्यार की बौछार होगी। हमे बस इतना ख्याल रखना होगा कि रुकावट और उलझन मेरे द्वारा उत्पन्न ना हो। 

 

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

बोलने की कला

प्रेम

रिधम