संदेश

आंसु

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बड़ी विडम्बना है कि ज्ञान हो धन हो या प्रेम। कभी इसकी अधिकता महसूस नहीं होती और इसकी थाह भी नहीं हैं। कोई यह नहीं कह सकता कि अब बहुत हुआ। अब और नहीं चाहिए। लेकिन यह अलग बात है कि यह बांटने से बड़ता हैं कम नहीं होता। ज्ञान और प्रेम के सम्बन्ध में तो यह ठीक हैं लेकिन धन के सम्बन्ध में आशंका बनी रहती हैं। यह बांटने से कैसे बदेगा। इसको इस तरह समझने की कोशिश करते हैं। किसी को रुपयों की आवश्यकता है। वह आपसे अपने कठिनाइयो से गुजर रहे दिनों कि चर्चा कर रहा हैं। पर वह आपसे मदद कि गुहार नहीं कर रहा। और आप उसके तकलीफ को कम करने के लिए कुछ धनराशि से मदद करने की इच्छा जाहिर करते हैं। पर वह धन्यवाद के साथ मुस्कुराते हुए आपके इस भाव का सम्मान करते हुए मना करता हैं। तब आपका मनोबल भी बढ़ता है और आपकी धनराशि भी। और उसके नज़रों में आपका सम्मान भी बढ़ता हैं और धन भी। चाहे आपके पास हो या ना हो। इसी तरह आपका दुख। आपको कुछ ऐसा जो प्रिय था खो गया जिसकी उम्मीद थी पर नहीं मिला। ऐसी पीड़ा ने आपको आंसू दिए। दूसरी ओर आपका दोस्त या कोई जानने वाला हो या अनजान जिसने भी आपके तकलीफ को जाना। उसे भी आपके तकलीफ का अहसास ह

सावन की पहली फुहार

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सावन की पहली फुहार से मौसम बदल गया है।फर्श पर पड़ी बारिश की पानी में झांकता आसमान हर रोज कहा दिखता है। कदमों के नीचे आसमान को देख मुस्कुराहट चेहरे पर खिल जाता हैं।की यही तो चाहता हूं मैं। कदमों में दुनिया को झुका दू। अभी तो आसमान हैं।  कल की बात हैं दोस्तो की बीच बैठा था तो जैसा की सर्वविदित हैं कि बीते दिनों की बातें या आने वाले कल की बातें ही होनी थी तो हो रही थी। बृजेश जो कि पिछले दिनों कुछ ज्यादा ही तकलीफ में रहा। अपनी आप बीती सुनाने लगा। साल भर पहले उसका ट्रांसफर कोलकाता हो गया था।और उसे वहा काफी तकलीफ में दिन बिताने पड़े। उन्हीं को याद करता हुआ बार बार भाव विभोर हो भगवान का शुक्रिया अदा करने लगता। उसका भगवान के प्रति अटूट विश्वास देख मेरे भाव भी बदलने लगे। उसने एक रात की बात बताई कि वह बेड पर सोया था और पिछले छह महीने से बीमार होने के कारण उसकी आवाज भी चली गई थी। अभी भी वह पूरी तरह ठीक नहीं हैं जबकि इस बात को भी छह महीने बीत चुके हैं और वह रेगुलर काम पर आ रहा हैं। उस रात वह बेड पर सोया हैं और उसकी पत्नी घर के मंदिर में ही पिछले दो ढाई घंटे से पूजा कर रही हैं। पूजा क्या कर रही थी

करंट

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बैठे बैठे हुक्का खींचते रहते हो कोई काम भी कर लिया करो। चूल्हे से आग हुक्के में डालते हुए बोली। तेरा बस चले तो घर में आने ही न दे। ला हुक्का पकड़ा। आपसे तो कुछ कहना ही पत्थर में सिर मारने जैसा है। बाल्टी उठा कर बोली कितनी बार कह चुकी हूं कान के भीतर तो जाती नहीं होगी मेरी बात जिस दिन इस बिजली के तार पे कोई अटक जाएगा तब मालूम पड़ेगी। आंगन में बैठा लड़का खेल में मग्न था। मां की बात सुन उठा और तार के पास पहुंचा। दूर से ही मां बोली। तार मत छुओ करंट मार देगा। मां अपने 10-12साल के बेटे को सावधान करते हुए। जो घर के पिछवाड़े से गुजर रही तार की तरफ ही जा रहा था। लड़का ठिठक गया। और तार की ओर देखने और सोचने लगा कि यह काले रंग के तार में कुछ दिखाई तो नहीं दे रहा। फिर यह करंट कैसे मारेगा। और यह करंट कोई लात हैं जो मार देगा। उसे यकीन नहीं हुआ। मां हमेशा ऐसा ही कहती है यह मत करो वहा मत जाओ। आज मैं यह देखकर ही रहूंगा। कि करंट क्या होता हैं और कैसे मारता हैं। उसने चारो ओर नज़रे घुमाई आस पास कोई नहीं था मां भी अपना काम निपटा कर जा चुकी थीं। उसने देखा काले तार के बीच से सफेद तार आंख की तरह उसे इशारे से क

गलती का पुतला

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यह हैरानी की बात है कि जितना भी हो आपके पास। आप देखेंगे,तो कमी कही न कही होगी ही। और वही है खतरे कि घंटी।  जो कभी भी आपके गले कि फास बन सकती है। इसलिय यह जान ले कि अगर कुछ गलत हो रहा है तो निश्चय ही आपने अपने कमियो कि ओर ज्यादा ध्यान दे दिया है। यह किसी तरह  से भी ठीक नही है। यहा तक मैं जानता हूँ मनुष्य गलतियो का पुतला है। गलतिओ कि वजह है आपकी इच्छाए जो कभी भी तृप्त नही होती। ऐसा कोई खोजना चाहिय जिसके जीवन मे न तो कोई अभिलाषा है और न ही कमी। अभिलाषा या इच्छाओ का होना कोई बुरी बात नहीं। यही तो मूल में हैं हमारे जीवन यात्रा के। और अपने कमिओ को पहचान कर ही हम सुदृढ़ बनते हैं यही तो जीवन की सुंदरता है कि यह जीवन अनिशचिताओ से भरा है। कि एक सुबह आप उठते है पिछले कई शानदार सुबह कि तरह जिसमे बच्चो के साथ गर्मजोशी भरा गले लगना मुस्कुराहट का आदान प्रदान के साथ उज्जवल भविष्य कि कामनाओ से ओत प्रोत आपकी भावनाए। लेकिन छोटी सी एक बात नाश्ते कि टेबल पर शुरू होती है जो समाप्त होती है कि आप एक दूसरे कि शक्ल देखना भी पसंद न करे। यही बच्चे जिन्हें गले लगाने से आपकी सारी थकावट दूर हो जाती थी। आज आंखो मे उन

गोलमोल

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तुम्हे पता है यह धरती जिस पर हम बैठे सपने बुनते हैं वो गोल हैं। फिर भी हम फिसलते नहीं। इसका व्यास 7000 किलोमीटर है यह घूमती भी हैं लट्टू की तरह और सूर्य की परिक्रमा भी करती हैं  जिस तरह लोग गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करते हैं। धरती के तीन हिस्से में पानी और एक हिस्सा मिट्टी है जिस पर सात अरब लोग अपने अपने धुन में गुनगुनाते और आने वाले कल के सपने बुनते हैं। सागर का पानी फिर भी छलककर गिरता नहीं। आप यकीन नहीं करेंगे यह लोग जो इस धरती पर अपना साम्राज्य बनाए हुए हैं इस धरती पर वायरस के आकार जैसे भी नहीं पर इन्होंने इस जैसे दस विशाल धरती को भी धूल में मिलाने का विस्फोटक तैयार कर लिया है। यह भले धरती के सामने चींटी से भी कम हो पर बहुत भले लोग हैं इन्होंने धरती पर रेखाएं खींच दी जिसे देश कहते हैं फिर बहुत भावुक गीत गाते है अपने देश पर गर्व महसूस करते हैं। और इसी लकीर की वजह से खून की नदियां भी बहाने से नहीं हिचकते। इनमे एक और अच्छी बात है यह प्रेम कि बात करते हैं और जिससे प्रेम करते हैं उसका खून बहाने से और उस पर तेजाब डालने से भी नहीं हिचकते। इसे ऋषि मुनियों का देश कहा जाता रहा हैं। कुंभ के म

वायरस

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कोरोना वायरस महामारी के रूप में हमारे सामने है। इसने दुनिया में अपना एक खौफनाक मंज़र स्थापित कर लिया है लगभग दो महीने होने को आए हैं इसके डर से पूरी दुनिया अपने घरो में बंद हैं वायरस शब्द कोई नया शब्द है इस दुनिया के लिए ऐसा बिल्कुल भी नहीं हैं इतिहास गवाह हैं इससे पहले भी हमने कई तरह के वायरस देखे हैं जिनका मुकाबला करते हुए हमने अपने शरीर का त्याग किया तब भी मानवता जीती थी आज भी जीतेगी। वायरस हमारा दुश्मन नहीं हैं सहयोगी है वह हमारे शरीर के अंदर हैं जो हमारे शरीर को सुचारू और शक्तिशाली स्तर पर इसे चलाने के लिए अपना योगदान दे रही है। कोरोना वायरस नया हैं इसे भी हम अपने शरीर में एक अच्छा स्थान देंगे और यह भी अपने भाई बहनों की तरह हमारे शरीर को समयिक अनुकूल बनाने में मददगार साबित होगी।  कोराना वायरस का सही शब्दों में अगर अर्थ निकाला जाएगा तो मैं इसे इस तरह परिभाषित करूंगा। को का अर्थ है साथ। रोना दुख की अभिव्यक्ति। वायरस का अर्थ है आंसू। अर्थात साथ मिलकर दुख की पीड़ा में आंसू का बहना। सभी सपने योजनाएं जो बनाई गई थी। इस वायरस के आगमन से पहले धराशाई हो गए। जो समझा करते थे। की कृष्ण की तरह

भिखारी

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आज मेरी उम्र लगभग पचपन है शारीरिक और न ही मानसिक तौर पर मै इतने उम्र का नहीं लगता। अगर सिर और मुंछो के बालों को रंग दू तो बत्तीस का ही लगूंगा। उम्र की विश्लेषण करने की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि मुझे अब सपने आने बन्द हो गए। एक समय था जब मैं दिन दोपहरी कही भी होता चाहे आंखे खुली हों या बन्द हो सपने निरन्तर चलते रहते थे। तभी तो मेरा नाम दिया गया था बोलदा जिसका अर्थ हैं बेवकूफ।  मुझे याद हैं स्कूल का दृश्य यहां मै सदैव अध्यापक के पास ही बैठा करता था क्योंकि मैं पढ़ाई में अच्छा विद्यार्थी होने के साथ साथ चेहरे मोहरे से भी गोलू मोलू और प्यारा भी था। हर रोज की तरह अध्यापक के निर्देशों का पालन करने के लिए मैं उठा और स्कूल की घंटी बजाते हुए छुट्टी कर दी जबकि मुझे दूसरे पीरियड के समापन की घोषणा करना था। इसी तरह और भी कई किस्से है जो इस बात की तसदीक करते हैं कि सबने जो  नाम मुझे दिया है वह गलत नहीं था। लेकिन वे कभी यह न जान पाए कि इसके पीछे कारण मेरे उन सपनों का है जो जागती आंखो से देखा करता था। हैरानी की बात है आज आंखे बन्द करने पर भी नहीं आती।  मुझे बहुत अच्छा लगता था सपने देखना। पढ़ते पढ़ते कही