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मुस्कुराहट

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kuchalagkare.in जंगल या पेड़ों के इर्द गिर्द खेलते बच्चे खेल में मशगूल है। चाहे जितने भी मदमस्त हो अपनी मस्ती में पर उन्हें इस बात का भी ख़्याल है की बाबा के आने का समय हो गया है और इस बात का ख़्याल जैसे ही कौंधती है घर की तरफ दौड़ कर बाबा या माँ के आने से पहले ही घर पहुंच जाते है। बाबा को पानी भर के गिलास जो देना है। और एक मुस्कुराहट। बस इतना ही तो करना बाबा के थकान भरे चेहरे पर एक मुसुकरहट पसीने से भरे चेहरे पर हल्की सी झलक खुशी की मिल जाये बस इतना ही तो करना है दिन भर में। क्या यह आज के बच्चे कर रहे है माँ बाप के लिए संभवतः नही। यह विषय मजबुर करता है कि हम जाने की किस दिशा में व कैसे समाज का निर्माण करने में लगे है।यहाँ मूल्यवान वस्तुओं के लिये बहुमूल्य को खोते व समाप्त करते जा रहे है। पर मैं तो खुश हूं। अपनी जिंदगी से क्योंकि मेरे पास वो सब कुछ है जो जीने के लिये जरूरी है। जंहा तक मैंने जाना है जीने के लिये जो जरूरी है वो सब तो ईश्वर द्वारा फ़्री है।उसके लये कुछ करने की जरूरत हैजैसे हवा,पानी,पृथ्वी,आग/सूर्य और आकाश

परमानंद

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मेरे बच्चे अगर किसी दिन नाराज़ होकर कह दे। मुझे भूख नही है मैं नही खाता। तो शायद मेरा बी पी हाई हो जाय या मैं भी भोजन को देख हिचकिचाहट महसूस करू। लेकिन मुझे इस बात की ख़बर भी नही रहती की मेरे पड़ोसी ने खाना बनाया भी है या नही। भोजन तो खैर सभी बंद दरवाजों के पीछे ही करना पसंद करते है। इन्हें इंगित करने का मेरा उद्देश्य सिर्फ इतना ही है कि अगर इस दुनिया मे एक भी इंसान क्या जानवर भी भूखा है कहीं तो हमारा खाना हराम है। अरे बाप रे तब विकट परिस्थिति खरी हो जायेगी।  नही। यह करुणा का आधार है। क्या हमें अहसास है। कोई कंही भूखा तो नही।हे ईस्वर ऐसा नही होना चाहिए। मैं दो रोटी कम खा लूँगा। तू भूखा जगाता जरूर है पर किसी को भूखा सुलाता नही। यह श्रद्धा है। उस महान ऊर्जा के प्रति जिसने हम सबकी रचना की ऐसा मानना ही भक्ति है। और भक्ति ही हमे इस पीड़ा में भी आनंद दे सकता है ऐसी स्थिति हमेशा आपके जीवन मे बनी रहे तो परमानंद है। kuchalagkare.in

मैं और ब्रह्माण्ड

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kuchalagkare.in संसार की सबसे छोटी इकाई है मेरा स्वयं का वजूद। उसके बाद मेरा परिवार तब समाज और उसके बाद देश और ब्रह्मांड।अहं ब्रह्म अस्मि।मैं ही ब्रह्म हूँ।मेरा अस्तित्व भी इसी ब्रह्मांड से है। ब्रह्म और ब्रह्मांड दोनों एक दूसरे में समाहित है। इसका तातपर्य मुझमे और इस ब्रह्मांड में फ़र्क करना बेमानी है। फिर इतना अंतर्विरोध कैसे दिखाई पड़ता है। विश्लेषण करने की जरूरत इसी बात को लेकर होना चाहिए। जानना चाहिए कि इतने गहरे सम्बंध होने के बावजूद एक रसता क्यो महसूस नही होती। इसका मूल कारण है। धोखा। जो जाने अनजाने में हम स्वयं को देते है। दुसरो को अपने से अलग समझना ही हमारी दुविधा का कारण है कि हम इस सृष्टि से अलग है यही हम जानते मानते रहे। यही हमारी अज्ञानता और दुख का कारण है। 

पार्ट टाइम जॉब

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Part time job यह इंग्लिश वाक्य है जिस का हिंदी रूपांतरण खोज रहा हूँ। मुझे लगता है इंग्लिश शब्दो को आम प्रचलित भाषा के इस्तेमाल ने हमारे मानसिक स्तर को काफी नुकसान पंहुचाया हैं। क्या इसे इस तरह देखे जाना सही होगा। कि अपनी बढ़ती जरूरतों के चलते मैं अपने व्यस्त समय मे से और थोड़ा समय कहीं ख़र्च करता हूँ। या ये भी कहा जा सकता है कि मेरी कार्यक्षमता बढ़ी जिसे मैं अपने देश, समाज और परिवार के लिए लगा सकता हूँ। ज्यादा जानने और व्यस्त रहने की भी मेरी जिज्ञासा है हमेशा से प्रबल रहा हैं। जिसके कारण मैंने इसे चुना। इसके साथ ही मैं आपका ऐसा साथी भी बनना चाहता हूं जो आपके हर तरह के जरूरत के समय आपके साथ हो।जैसे पढ़ने वाले बच्चों के लिए उनके अनसुलझी प्रश्नों को हल करना। आउटडोर खेल के लिए बच्चों के समूह को एकत्रित कर उन्हें विभिन्न खेलो के जरिये छुट्टी के खाली समय का सदुपयोग करना। कला, संस्कृति व नाट्य मंचन के जरिये भी बच्चों की विशेषता में निखार लाने के लिए प्रयास किया जा सकता। इसी तरह हर वर्ग की अलग अलग जरूरतों के हिसाब से उनको साथ लेकर एक बेहतर विकल्प तैयार किया जा सकता है। जिसमे आपकी भागीदा