सम्बन्ध

सम्बन्ध एक मजबूत जोड़ का परिचायक है ।जिसमे लेश मात्र भी दरार कि गुंजाइश नही है यह अटूट और अभेद है। सम्बन्ध रिश्तों का माता-पिता, भाई-बहन, माँ-बेटा, पिता- पुत्री, पति-पत्नी, देवर-भाभी, ऐसे ही न जाने कितने ही सम्बन्ध है। अगर यह सम्बन्ध अपने उच्चतम शिखर को परिभाषित करती है तो सही है। लेकिन कई बार देखा जाता है। लालच, ईर्ष्या, घृणा,द्वेष और क्रोध के वशीभूत इन सम्बन्धो को तार तार कर दिया जाता है। क्या हम इन पञ्च भूतों पर विजय प्राप्त कर सम्बन्धो को उसकी यथासम्भव दिशा में नही ले जा सकते। जरूर ले जा सकते है। हम में वो सारी योग्यताए है।जिनसे रिश्तों को बेहतर बनाया जा सकता है।इसके लिए सबसे जरूरी है धर्य, भरोसा, समझ, प्रेम और संतुलन। इन पञ्च तत्वों को अपने जीवन मे धारण कर सम्बन्धो की ऊंचाइयों को छुआ जा सकता है।

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