कर्ज
आज जिस दौर से मैं गुजर रहा हूं बहुत ही भयभीत करने वाला हैं. जानता था वो सभी बाते जिन्हे न करने की हिदायते दी जाती हैं पर जरूरतों के वशीभूत सब हिदायतों को भुला बैठा। आज यह परिस्थिति है कि खुद से भी डरने लगा हूं। दूसरो से नज़रे चुराने लगा हुं कैसे पार पाऊंगा इस विषम परिस्थिति से नही समझ पा रहा हूं। ऐसा नहीं है कि यह पहला अनुभव है इससे पहले भी अलग अलग उम्र में इससे मिलती झूलती बल्कि इससे भी ज्यादा भयावह स्थिति से गुजर कर आज फिर एक बार। यह मेरे जीवन का चक्र है। जो कुछ सालो के बाद मेरे सामने आकर खड़ा हो जाता हैं। तकलीफ देय तो हैं पर इस समय ज्यादा परेशानी इस बात की हैं कि मैं एक परिवार का मुखिया हूं जिन पर कई ओर लोग भी निर्भर है। यह गलती अक्षम्य है। अपने साथ साथ मैंने अपने परिवार को भी दांव पर लगा दिया। यह किसी तरह से क्षमा नहीं किया जा सकता। इस तकलीफ देय स्थिति से कोई बाहर निकल सकता हैं तो वो है मेरे प्रभु। अब उन्हीं का सहारा हैं सिर्फ उन्ही से भरोसा है अब हर घड़ी बस उन्ही की याद आती हैं और एक लंबी आह निकलती हैं। कुछ महीने पहले सब ठीक था। कार खरीदने की सोच रहा था चाहता तो खरीद भी लेता अ