बाधक

 अगर आप बेचैन हैं। तो यह अच्छा संकेत हैं कि आप ऐसी स्थिति में हैं यहां आप समझ नहीं  रहे हैं कि असल में आपको क्या करना है या क्या चाहिए। जैसे जिंदगी अस्त व्यस्त हो गई हो। लेकिन जीवन में सब कुछ व्यवस्थित हो,वह भी हमेशा सम्भव नहीं हैं। जीवन में सब कुछ व्यवस्थित हो तो भी बेचैनी ही है कि करें तो क्या करे। सब कुछ तो वैसा ही हैं जैसा होना चाहिए। खालीपन जिसे भरा नहीं जा सकता भर भी दोगे तो फिर खाली हो जाएगा। कभी सब अच्छा लगने लगेगा कभी सब बकवास। यहीं अनिश्चितता जीवन को सजग बनाए रखता हैं। ईश्वर के प्रति आस्था बनाए रखता हैं। और यह बैचेनी यहीं इंगित कर रही हैं कि हम ज्यादा सजग हो और ईश्वर के प्रति अपनी आस्था को बनाए रखे।

अगर आपने जान लिया हैं कि यह बैचेनी आपसे बदलाव या कुछ अलग करने की चाह रखता हैं। तब यह प्लेटफार्म आपके लिए है। कुछ अलग करे में आपका स्वागत है।


ऐसा लगता जितनी बाते कहीं जानी चाहिए थी कही जा चुकी हैं। और कुछ भी कहने को नहीं रहा। अब और कुछ भी समझने व समझाने को नहीं रहा। पर ऐसा लगता है किसी को भी समझ नहीं आया या वे सब पहले से ही समझते थे। जिस तरह मैं समझता हू। फिर यह असंतोष कैसा। निश्चय ही कुछ छूटा हैं। यह निरंतर चलने वाली प्रक्रिया हैं। इसे इकाई दहाई की तरह दोहराना होगा। दो दूनी चार और चार दूनी आठ की तरह दोहराना होगा। सुनते तो हैं सभी समझते भी हैं पर जैसा की जीवन की कोई लिखित रचना नहीं। जीवन सदैव अनिश्चितता से भरा हैं

तो होने दो जो होता है इतना फिक्र क्यों। अगर जीवन आनन्द में हैं उत्सव में हैं अध्यात्म में हैं परम शांति में हैं उल्लास में है निरन्तर गति में है तब तो सही हैं लेकिन ऐसा नहीं हैं तो विचार करना,व्यथित होना अनिवार्य हो जाता हैं कि कहीं कोई भूल हैं। जो जीवन को उसके लक्ष्य तक पहुंचने में बाधक हैं।

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